Whatsapp कह रहा है SOCIAL MEDIA और DIGITAL MEDIA के लिए बनाए गए NEW IT RULE से निजता के अधिकार को खतरा
भारत सरकार का न्यू डिजिटल मीडिया रुल आज से सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के लिए लागू हो गया है.
इस न्यू रूल में कहा गया है कि सभी डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म अगर सरकार को जरूरत हो तो उस व्यक्ति जिसने की किसी भी पोस्ट को पोस्ट किया हो उसकी जानकारी देनी होगी.
साथ ही इस डिजिटल नियम में बहुत सारे और भी निर्देश हैं. जिनका पालन अब भारत में कार्यरत सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के लिए जरूरी है.
इस न्यू डिजिटल रूल में मुख्य रूप से सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म टि्वटर फेसबुक व्हाट्सएप इत्यादि को एक कंप्लेंट ऑफिसर जो कि भारत में हो उसकी नियुक्ति करनी होगी.
उस कंप्लेंट ऑफिसर का नाम और मोबाइल नंबर अपने वेबसाइट पर डालना होगा. साथ ही हर महीने अपने प्लेटफार्म पर रिपोर्ट प्रकाशित करनी होगी कि कितनी शिकायतें दर्ज हुई हैं और उन शिकायतों पर क्या फैसला लिया गया.
इसमें ये भी कहा गया है किजब भी कोई व्यक्ति शिकायत करता है तो कंप्लेंट ऑफिसर को 24 घंटे के भीतर उस पर प्रतिक्रिया देनी होगी.
इन सभी निर्देशों के लिए सरकार ने 3 महीने का समय दिया था. यह समय सीमा आज समाप्त हो गई है.
नए नियम के अंतर्गत भारत में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किए जाने वाला व्हाट्सएप भी शामिल है.
लेकिन व्हाट्सएप ने नए नियमों को लेकर आज दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया है. जिसमें व्हाट्सएप ने कहा है कि नए नियम गैर संवैधानिक हैं. और इससे व्यक्ति के निजता के अधिकार का उल्लंघन होता है.
मालूम हो कि नए नियम में व्हाट्सएप को कहा गया है कि जो भी भ्रामक और गलत पोस्ट कर रहे हों उनके बारे में सरकार को जानकारी देनी होगी.
क्योंकि व्हाट्सएप end to end इंक्रिप्टेड सिस्टम पर काम करता है. यानी इसमें संदेश भेजने वाले और प्राप्त करने वाले के अलावा और कोई भी थर्ड पार्टी इसे नहीं पढ़ सकता. यहां तक कि व्हाट्सएप भी नहीं.
व्हाट्सएप का कहना है निजता का अधिकार व्यक्ति का मौलिक अधिकार है. जिससे समझौता नहीं किया जा सकता.
लेकिन यहां यह बताना जरूरी है कि कुछ महीनों पहले व्हाट्सएप खुद निजता के अधिकार से समझौता करता दिख रहा था. जब उसने अपनी पॉलिसी में बदलाव किये थे.
जिसका सरकार और आम जनता ने काफी विरोध किया था. इस विरोध के बाद व्हाट्सएप ने बयान जारी कर बताया था कि उसकी पॉलिसी से किसी की निजता प्रभावित नहीं होगी.
उल्लेखनीय है कि भारत में व्हाट्सएप और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे टि्वटर फेसबुक इत्यादि बिचौलिए की भूमिका में हैं. यानी इंटरमीडियरी. इसका अर्थ है किए गए पोस्ट के संबंध में उन्हें कोर्ट में पार्टी नहीं बनाया जा सकता है.
अभी सरकार और ट्विटर के बीच भी TOOLKIT मामले को लेकर तनातनी बनी हुई है. कहीं ऐसा ना हो कि सरकार व्हाट्सएप को लेकर कोई सख्त कदम उठा ले.
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