FREE VACCINE का प्रचार-प्रसार कहीं CORONA से हमारी लड़ाई को कमजोर ना कर दे??
राज्य सरकारों द्वारा किया जा रहा FREE VACCINE का प्रचार-प्रसार कहीं corona से हमारी लड़ाई को कमजोर ना कर दे. राज्य सरकार और केंद्र सरकार VACCINE को आबादी के एक बड़े हिस्से तक पहुंचा कर इस बीमारी पर नियंत्रण पाना चाहती हैं जो कि अभी की स्थिति को देखते हुए उचित भी है पर इस प्रचार-प्रसार के शोरगुल में लोग कहीं यह ना समझें कि अब तो किसी चिंता की बात नहीं है और बेखौफ होकर corona प्रोटोकॉल की अवहेलना करने लग जाएं. यह बातें सिर्फ कोरी कल्पना मात्र नहींं हैैं. ये बातें सत्य हैं अगर आप खासकर ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों से बात करेंगे तो पाएंगे कि corona की प्रति उनमें अभी भी जागरूकता की उतनी ही कमी है जितनी की corona की पहली लहर के समय थी.अधिकांश लोग यह कहते हुए मिल जाएंगे कि अब तो corona की दवाई आ गई है अब कैसा डर. इन लोगों में यह भ्रांति आज से नहीं है बल्कि फेसबुक और व्हाट्सएप के झूठे संदेशों द्वारा लगभग 2020 मई-जून से ही इस प्रकार की भ्रांति इन में भर दी गई थी. इन भ्रांतियों को और बल मिल जाता है जब आयुर्वेद और देसी नुस्खे के नाम पर लोगों को गुमराह किया जाता है. वहीं नवंबर 2020 में जब बिहार में चुनाव कराने का फैसला लिया गया और corona के सभी प्रोटोकॉल की खिल्ली उड़ाते हुए जिस प्रकार से चुनावी रैलियां की गई तो अधिकांश लोग इन रैलियों को “कोरोना नहीं है” के उदाहरण स्वरूप प्रस्तुत करने लग गए. यहां तक कि वरिष्ठ नेताओं के भी बयान आने लगे कि देखिए इस भीड़ को कोरोना कहां है.
दूसरी डोज के बाद ही पूर्ण IMUNITY लेकिन अभी
मात्र 2 से 3% लोगों को ही दूसरी डोज दी गयी है..
अभी तक भारत में कुल आबादी के 10 सेे 12% हिस्से को ही टीका मुहैया कराया जा सका है उसमें से भी मात्र 2 से 3% लोगों को ही दूसरी डोज दी गई है. हेल्थ मिनिस्ट्री के आंकड़ों के अनुसार लगभग 15 करोड़ लोगों का टीकाकरण किया जा चुका है जिसमें से 3 से 3.5 करोड लोगों को टीके के दोनों डोज लगे हैं. मालूम हो कि भारत में अभी corona वैक्सीन के रूप में दो टीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है इनमें से एक कोवैक्सीन को भारत बायोटेक और ICMR ने विकसित किया है तो वहीं COVISHIELD का उत्पादन सिरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया(SII) द्वारा किया जा रहा है. COVISHIELD का निर्माण ASTRAZENECA और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा किया गया है. कोवैक्सीन के दो डोज के बीच 28 दिनों का अंतर रखा गया है वहीं सिरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया के COVISHIELD के लिए यह अंतर 42 दिनों का है. यहां एक बात गौर करने वाली है कि वैक्सीन corona से बचाव का काम तो पहली डोज लगने के बाद ही शुरु कर देती है लेकिन इसका पूर्ण असर दूसरे डोज के 14 दिन बाद ही शुरू होता है. इसका अर्थ यह हुआ कि औसतन टीका लगने के 45 से 50 दिनों के बाद ही कोई व्यक्ति अपने आप को corona से सुरक्षित कर सकता है. लेकिन इसकी भी सीमाएं हैं दोनों डोज लेने के बाद भी व्यक्ति corona से संक्रमित हो सकता है यह अलग बात है कि संक्रमण के दौरान उसे मामूली परेशानी का सामना करना पड़ेगा लेकिन दो डोज लेने के बाद भी जो व्यक्ति संक्रमित होगा वह दूसरे व्यक्ति को संक्रमित कर सकता है. यहां एक बात और साफ हो जाती है कि अगर corona के चेन को तोड़ना है तो जल्द से जल्द कम से कम 60 से 70% आबादी को वैक्सीन की दोनों डोज देनी होगी.
18 वर्ष और उससे अधिक के सभी लोगों का टीकाकरण एक चुनौती
25 अप्रैल 2021 को भारत में टीकाकरण अभियान को शुरू हुए 100 दिन पूरे हो गए जिसमें दो चरण शामिल हैं. अभी तक 45 वर्ष या उससे अधिक के लोगों को ही corona की वैक्सीन दी जा रही है लेकिन आने वाले 1 मई से टीकाकरण का तीसरा चरण शुरू हो रहा है जिसमें 18 वर्ष और उससे अधिक के सभी लोगों को शामिल करने की बात कही गई है. लेकिन वैक्सीन की उपलब्धता के आधार पर इतनी बड़ी आबादी को इतनी जल्दी वैक्सीन उपलब्ध करा पाना बहुत ही मुश्किल काम है अभी अमूमन प्रत्येक दिन 30 से 31 लाख के बीच वैक्सीन के डोज दिए जा रहे हैं और जब 18 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को इसमें शामिल कर लिया जाएगा तो वैक्सीन की डोज और भी बढ़ जाएंगी.अगर जिस रफ्तार से टीकाकरण अभियान अभी चल रहा है उसमें बहुत ज्यादा तेजी भी ला दी गई तो भी corona के चेन को तोड़ना इतना आसान नहीं होगा
टीकाकरण के बाद भी कोरोना के चेन को तोड़ना इतना आसान नहीं होगा
अगर 1 मई को किसी को वैक्सीन की पहली डोज दी जाएगी तो 28 दिनों के बाद यानी 29 मई को उसे दूसरी डोज दी जाएगी और इसके 14 दिनों बाद यानी 12 जून के बाद ही यह लोग corona से लड़ने में पूर्ण रूप से सक्षम हो पाएंगे. और यह भी COVISHIELD के लिए नहीं बल्कि यह COVAXIN के लिए है क्योंकि COVISHIELD के दूसरे डोज के लिए 42 दिनों का अंतर रखा गया है और अगर इस दरमियान लोग संक्रमित होते हैं और corona प्रोटोकॉल का पालन नहीं करते हैं तो corona के चेन को तोड़ना संभव नहीं है. इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि corona के चेन को तोड़ना है तो वैक्सीन अंतिम समाधान नहीं. कोरोना की तुलना पोलियो के टीकाकरण अभियान से नहीं कर सकते हैं इसका दायरा सीमित था.भारत में पोलियो अभियान 2 अक्टूबर 1994 को शुरू किया गया था और यह अभियान अभी तक जारी है यह अलग बात है कि भारत ने पोलियो को मात दे दी है.भारत में पोलियो का अंतिम केस 13 जनवरी 2011 को हावड़ा में पाया गया था.पोलियो अभियान के साथ एक बात और जुड़ी हुई है कि यह एक निश्चित आयु वर्ग से संबंधित था लेकिन corona का किसी आयु वर्ग से कोई लेना-देना नहीं है. इस कारण कोरोना की तुलना किसी अन्य टीकाकरण से करना उचित नहीं है.
वैक्सीन की उपलब्धता और दाम को लेकर चिंता
26 april 2021 तक भारत में कुल 14.43 करोड़ लोगों को corona का टीका दिया जा चुका है.
अभी भारत के पास रिजर्व में 2.07 करोड़ वैक्सीन के डोज बचे हुए हैं.वहीं corona टीके के दाम को लेकर राज्य सरकरें लगातार ये मांग कर रही हैं की केन्द्र और राज्य के लिये एक दाम होंं.
https://www.thebharatbandhu.com/covid-corona-india/electioncommission-corona-hc/