Sulabh International Bindeshwar Pathak Death: सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक बिंदेश्वर पाठक का निधन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी जताया दुख बिहार में शौचालय क्रांति लाने में था अहम योगदान
Sulabh International Founder Death: सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक बिंदेश्वर पाठक(Bindeshwar Pathak) का 80 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है. बिंदेश्वरी पाठक ने बिहार सहित कई राज्यों में समाज सेवा का कार्य पूरे तन मन से किया था. उन्होंने उस समय घर-घर तक शौचालय(Toilet) की व्यवस्था करने के लिए आंदोलन छेड़ दिया था जब शौचालय सिर्फ बड़े घरों में ही उपलब्ध होते थे.
बिंदेश्वरी पाठक के निधन पर भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने शोक संदेश में कहा है कि श्री बिंदेश्वरी पाठक के निधन का समाचार अत्यंत दुखदाई है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने शोक संदेश में आगे लिखा है कि श्री पाठक ने स्वच्छता(Sanitation) के क्षेत्र में क्रांतिकारी पहल की थी उन्हें पद्म भूषण सहित अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था.
सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक श्री बिन्देश्वर पाठक के निधन का समाचार अत्यंत दुखदाई है। श्री पाठक ने स्वच्छता के क्षेत्र में क्रान्तिकारी पहल की थी। उन्हें पद्म-भूषण सहित अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था। उनके परिवार तथा सुलभ इंटरनेशनल के सदस्यों को मैं अपनी शोक-संवेदनाएं…
— President of India (@rashtrapatibhvn) August 15, 2023
बिंदेश्वर पाठक में स्वच्छता को लेकर गहरी समझ: 1970-80 के दशक में बिहार से लेकर बंगाल तक और उसके बाद देश के बाहर भी बिंदेश्वर पाठक के प्रयास से लोगों में स्वच्छता को लेकर गहरी समझ की उत्पत्ति हुई और लोग खुले में शौच न जाकर शौचालय का इस्तेमाल करने लगे थे.सुलभ इंटरनेशनल द्वारा बनाए गए शौचालय बेहद ही कम कीमत(Low Cost Toilet) पर तैयार हो जाते थे. जिस कारण इसकी लोकप्रियता(Popularity) चरम पर पहुंच गई थी. 1970 में इसकी स्थापना हुई और 1980 में इसने देश के बाहर भी काम करना शुरू कर दिया और फिर यह बन गया सुलभ इंटरनेशनल.
बिंदेश्वर पाठक का जन्म 2 अप्रैल 1943 को बिहार के रामपुर में हुआ था. उन्होंने भारत में स्वच्छता के लिए जो प्रयास किए थे वह अविस्मरणीय है. उनके द्वारा किया गया प्रयास इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि जिस समय उन्होंने भारत में स्वच्छता क्रांति लाने की बात सोची उस समय भारत बेहद ही विपरीत परिस्थिति से गुजर रहा था. 1970- 80 का दशक जब भारत हर मोर्चे पर अपने आप को खड़ा करने की कोशिश कर रहा था उस समय स्वच्छता को लेकर पड़े पैमाने पर अभियान चलाना कोई साधारण बात नहीं थी. बिंदेश्वर पाठक ने सुलभ इंटरनेशनल के जरिए ना सिर्फ स्वच्छता अभियान को आगे बढ़ाया बल्कि समाज के विभिन्न क्षेत्रों में भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई. यहां यह बता दें कि आज भी दूरदराज के कई गांव में सुलभ शौचालय देखने को मिल जाते हैं.
सुलभ शौचालय की सबसे बड़ी खासियत थी कि यह बहुत ही कम कीमत और बहुत ही कम जगह में बनकर तैयार हो जाता था. वहीं आजकल की बात करें तो बिहार ही नहीं बल्कि देश के कई शहरों में सुलभ इंटरनेशनल(Sulabh International) द्वारा बनाए सुलभ शौचालय देखे जा सकते हैं. जहां पर बहुत ही कम पैसे के भुगतान करने पर इसका लाभ उठाया जाता है.