CORONA ने एक बार फिर से अपना पुराना रौद्र रूप धारण कर लिया है लगभग 6 महीने के बाद एक दिन में सबसे ज्यादा मामले आये हैं. शनिवार को 92994 मामले आए जो पिछले covid peak से कुछ ही कम है.
वहीं अब देश में COVID ACTIVE मरीजों की संख्या भी बढ़ती जा रही है पहले जहां यह संख्या दो लाख से भी कम हो गई थी लेकिन अब active corona मरीजों संख्या 6 लाख से भी अधिक हो गई है.मरने वालों का आंकड़ा भी दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है भारत में अभी तक लगभग एक लाख 60 हजार से भी ज्यादा लोग इस बीमारी से मर चुके हैं. इन सब कारणों से अब डॉक्टर से लेकर देश के शीर्ष नेतृत्व तक फिर से चिंतन-मनन करने में लग गए हैं कि आखिर इस मुश्किल से कैसे बाहर आया जाए.
क्या फिर से लग सकता है LOCKDOWN???
अगर बात पिछले मार्च की यानी मार्च 2020 की करें जब कोरोना ने भारत में अपना पैर पसारना शुरू किया था तब मोदी सरकार ने सख्त lockdown का ऐलान किया था.लेकिन इसके कारण देश की आर्थिक स्थिति गोते खाने लगी थी और GDP का ग्राफ निगेटिव हो गया था. इसलिए इस बार इस प्रकार के किसी भी कदम को उठाने के पहले सरकार जल्दबाजी नहीं करेगी ऐसा अनुमान लगाया जा सकता है. लेकिन अगर सरकार को विशेषज्ञों द्वारा फिर से यह राय दी जाती है कि छोटे समय के लिए ही अगर एक mini Lockdown लगाया जाए तो स्थिति नियंत्रण में आ सकती है तो शायद सरकार इस फैसले पर विचार कर सकती है.
AIIMS DELHI के डायरेक्टर के बयान ने सबको फिर से चौकन्ना कर दिया है..
एक इंटरव्यू के दौरान दिल्ली एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने वर्तमान स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए एक मिनी लॉकडाउन की वकालत की है.
अब यह बात जगजाहिर हो चुकी है कि लॉकडाउन कोरोना की समस्या का हल नहीं है लेकिन लोगों की लापरवाही और कुछ राज्यों में चुनाव आयोग की चुनाव कराने की जिद्द ने एक बार फिर से देश को उसी जगह लाकर खड़ा कर दिया है जहां से देश बड़ी मुश्किल से आगे बढ़ पाया था.
CORONA के बढते मामलों को देखते हुए PM MODI ने एक हाई लेवल मीटिंग बुलाई है
अब देखना है आखिर सरकार इस पर क्या निर्णय लेती है वैसे इस मीटिंग का संबंध छत्तीसगढ़ में हुए माओवादी हमले से जोड़कर भी देखा जा रहा है वहां अब तक 22 जवानों की शहादत हो चुकी है.वहीं कोरोना संकट से मुक्ति दिलाने के लिए जिस वैक्सीनेशन अभियान को सभी एक्सपर्ट्स लुकमानी नुस्खा बता रहे थे उसकी रफ्त़ार भी आशा से बहुत कम है अभी तक मात्र 7 करोड़ से कुछ ज्यादा लोगों का ही टीकाकरण हो पाया है. मालूम हो कि भारत में टीकाकरण अभियान की शुरुआत जनवरी महीने से हुई थी. शनिवार को टीकाकरण की संख्या एक दिन में 27 लाख थी जो कि उम्मीद से बहुत ही कम है. वहीं दूसरी ओर कोरोना टेस्टिंग और टीकाकरण दोनों में ही लगातार लापरवाही के मामले सामने आ रहे हैं.
कहीं Ct VALUE में हेरफेर कर रिपोर्ट को दबाया जा रहा है तो कहीं सैंपलिंग करने में लापरवाही बरती जा रही है.
कोविड-19 मरीजों में वायरस का लोड कितना ज्यादा या कितना कम है इसकी जानकारी हमें सिटी वैल्यू से प्राप्त होती है. Ct value का अर्थ है cycle threshold, RTPCR TEST कराने पर इसका पता चलता है.यहां एक बात और ध्यान देने योग्य है कि सीटी वैल्यू जितना ज्यादा होगा तो उस व्यक्ति में वायरस का लोड उतना ही कम होगा और इसके ठीक उलट सीटी वैल्यू जितना कम होगा वायरस का लोड उतना ही ज्यादा होगा.
ICMR की गाइडलाइन के मुताबिक 40 से कम सिटी वैल्यू वाले व्यक्तियों को कोरोना पॉजिटिव माना जाता है.मीडिया रिपोर्ट की मानें तो मध्यप्रदेश में कुछ जगहों पर सीटी वैल्यू के 40 आने के बाद भी पेशेंट को कोरोना negative दिखाया जा रहा है ऐसा इसलिए किया जा रहा है जिससे कि पॉजिटिव मरीजों की संख्या को कम करके दिखाया जा सके. वही टेस्टिंग के लिए जो सैंपल लिए जा रहे हैं उसकी हैंडलिंग भी कहीं-कहीं सही तरीके से नहीं की जा रही है जिस वजह से फॉल्स रिपोर्ट भी मिलते हैं.
गुजरात के व्यापारी वर्गों का टीकाकरण अभियान में तेजी लाने के लिए एक अनोखी शुरुआत
एक बात और जो परेशान करने वाली है वो है टीकाकरण के प्रति लोगों की उदासीनता जो अभी तक दूर नहीं हो पाई है.
गुजरात के व्यापारी वर्गों ने टीकाकरण अभियान में तेजी लाने के लिए एक अनोखी शुरुआत की है जिसमें VACCINE लेने वाली महिला लाभार्थी को नोज पिन और पुरुष लाभार्थी को हैंड ब्लेंडर जैसे उपहार दे रहे हैं.
व्यापारियों का मानना है कि इस प्रकार के कार्यक्रम से लोगों में टीका लेने के प्रति उत्साह का संचार होगा और जल्द से जल्द कोरोनावायरस से हमारा देश मुक्त हो जाएगा.