Gujrat Coal Scam: गुजरात में बड़ा कोयला घोटाला 60 लाख टन कोयले का आवंटन कहीं और भेजा कहीं और, अफसरों ने मामले में लगाई चुप्पी
Bank घोटाले के बाद गुजरात से एक और बड़े घोटाले की खबर सामने आ रही है. ताजा मामला कोयला घोटाले(Coal Scam) से जुड़ा है.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कोल इंडिया(Coal India) के खदानों से निकला कोयला जहां आवंटित था वहां नहीं पहुंचा बल्कि अधिक कीमतों पर कहीं और भेजा गया.
भारत सरकार ने साल 2007 में स्माल इंडस्ट्रीज को सहायता पहुंचाने और उत्पादन की लागत कम करने के लिए सस्ते दामों पर कोयले के आवंटन के लिए नीति बनाई थी, जिसे साल 2008 से लागू कर दिया गया था.
इस नीति के अनुसार राज्य सरकारें कंपनियों के नाम और उनकी जरूरत कोल इंडिया को बताती हैं और कोल इंडिया सस्ते दामों पर कंपनियों को कोयले की आपूर्ति करती है.
गुजरात के मामले में भी कथित तौर पर ऐसा ही हुआ. एजेंसियों द्वारा कोल इंडिया को जिन उद्योगों और व्यापारियों को कोयले का आवंटन करना है उनके डिटेल भेजे गए लेकिन कोयला वहां नहीं पहुंचा बल्कि इसे ऊंची कीमत पर बाजारों और अन्य प्रतिष्ठानों को बेच दिया गया.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कोल इंडिया से आवंटित कोयला अपने मूल गंतव्य तक नहीं पहुंचा बल्कि रास्ते से ही गायब हो गया.
इस घोटाले में गायब किए गए कोयले की अनुमानित मूल्य 6 हजार करोड़ रुपया बताया जा रहा है ,गौरतलब है कि यह कोई एक या दो साल चलने वाला घोटाला नहीं बल्कि यह पिछले 14 सालों से चलता आ रहा है.
बताते चलें कि कोल इंडिया द्वारा 60 लाख टन कोयला इसकी औसत मूल्य 3000 प्रति टन के हिसाब से 18 हजार करोड़ होता है, जिसे गुजरात के छोटे उद्योगों और व्यापारियों के नाम पर आवंटित किया गया.
लेकिन आवंटित कोयला उन लोगों तक नहीं पहुंचा बल्कि इससे दुगनी और तीन गुनी कीमत पर दूसरे राज्यों और व्यापारियों को बेच दिया गया.
इस घोटाले को लेकर जब अफसरों से सवाल किए गए तो उन्होंने सवालों से कन्नी काट लिए. बाजारों में 3000 प्रति टन वाले कोयले को 6000 और कहीं-कहीं 8000 प्रति टन के हिसाब से बेचा गया.
इस घोटाले को लेकर अब विपक्ष ने भी सरकार को निशाने पर लेना शुरू कर दिया है लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि अभी तक सरकार की तरफ से किसी भी प्रकार की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.