KUMBH में covid-19 को लेकर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री का बयान फिर से चर्चा के केंद्र में, क्या है बिहार का कुंभ कनेक्शन, MAHARASTRA में LOCKDOWN जैसी सख्ती का ऐलान

haridwar kumbh द भारत बंधु
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covid-19 से पूरे देश के साथ-साथ उत्तराखंड की स्थिति भी दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है,इस बिगड़ती स्थिति में भी हरिद्वार में कुंभ का सफल आयोजन कराना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है

कुंभ को लेकर उत्तराखंड सरकार ने व्यापक तैयारियां की हैं साथ ही सख्त़ गाइडलाइन भी जारी की गई हैं जिससे कि इस महामारी काल में आस्था की  डुबकी भी लगे और बीमारी भी बेकाबू ना हो लेकिन श्रद्धालुओं की भीड़ के आगे पूरा प्रशासन बेबस नजर आ रहा है. कोरोनावायरस के लिए अपनाये जाने वाले सोशल डिस्टेंसिंग यानी शरीरिक दूरी का नियम भी शायद ही कहीं देखने को मिल रहा है.

सोमवार को सोमवती अमावस्या  होने के कारण मीडिया रिपोर्ट की मानें तो 30 लाख से भी ज्यादा लोगों ने पवित्र गंगा में आस्था की डुबकी लगाई. इतने लोगों के बीच शारीरिक दूरी के नियम की बात करना अपने आप में ही एक विचारणीय प्रश्न है.अगर आंकड़ों पर गौर करें तो पिछले 5 से 6 दिनों से हरिद्वार में लगभग चार सौ के करीब कोरोना  के मामले प्रतिदिन आ रहे हैं,हरिद्वार में रविवार को 401 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं।  महंत नरेंद्र गिरी ,जूना अखाड़े के करमा गिरी एवं अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी भी कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं.

इस सबके बीचअपने बयानों से हमेशा चर्चा में रहने वाले उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत का कहना है कि गंगा मां की कृपा से कोरोना नहीं फैल सकता और कुंभ की तुलना दिल्ली निजामुद्दीन मरकज से नहीं की जा सकती है. उनके अनुसार मरकज में एक साथ एक बंद जगह पर बहुत सारे लोग रहते थे जिस कारण वहां कोरोनावायरस के फैलने की प्रबल संभावना थी जबकि हरिद्वार कुंभ का क्षेत्र बहुत ही विस्तारित है जिस कारण यहां कोरोना वायरस नहीं फैल सकता. उनकेे इस तर्क में कितनी सच्चाई है इसका पता तो कुंभ मेले की तस्वीरों से चल जाता है जहां कोरोना के फैलने का हर संभव कारण साफ नजर आता है.

कुंभ का आयोजन कब कहां और क्यों, इस में क्या है बिहार क महत्व  

कुंभ का आयोजन प्रत्येक 12 वर्षों के अंतराल पर प्रयाग ,हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में किया जाता है. हिंदू धर्म ग्रंथों में ऐसी मान्यता है कि समुद्र मंथन से प्राप्त अमृत का पान करने के लिए देवताओं और दानवों में युद्ध छिड़ गया था और अमृत कलश दानवों के हाथ ना आ जाए इसलिए भगवान विष्णु अमृत कलश को दानवों की नजरों से बचाते हुए सुरक्षित स्थान पर ले कर चले गए थे. जाने के क्रम में अमृत की कुछ बूंदें इन्हीं चार स्थानों पर गिर गयी थी. इस कारण इन 4 जगहों पर कुंभ पर आयोजन किया जाता है. प्रयाग में कुंभ के साथ-साथ अर्ध कुंभ का भी आयोजन किया जाता है इसका आयोजन प्रत्येक 6 साल पर होता है. समुद्र मंथन में मथनी के रूप में जिस पर्वत का इस्तेमाल किया गया था ऐसी मान्यता है कि यह पर्वत बिहार के बांका जिले के बौंसी में आज भी अपने पूर्ण स्वरूप में अवस्थित है इसे मंदराचल पर्वत कहते हैं. जिस प्रकार कुंभ का आयोजन किया जाता है अगर बिहार सरकार भी चाहे तो मंदराचल उत्सव को वैश्विक मान्यता दिला सकती है. मंदराचल पर्वत पर ही एक जल स्रोत भी है जिसे पाप हरनी के नाम से जाना जाता है. ऐसी मान्यता है कि यहां स्नान करने से त्वचा संबंधित  रोगों का निदान होता है मकर संक्रांति पर यहां भी मेले का आयोजन होता है.

मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ आइसोलेशन में गये

मालूम हो कि कोरोना ने यूपी में भी कोहराम मचा रखा है ताजा अपडेट के हिसाब से मंगलवार को यूपी में 17 हजार से भी अधिक कोरोना मामले आए हैं.वहीं यूपी के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ ने अपने आप को आइसोलेट कर लिया है ऐसा उन्होंने एहतियातन किया है क्योंकि उनके साथ रहने वाले कई अफसरों की कोरोना रिर्पोट पॉजिटिव आई है.

दिल्ली के हालात बहुत ही नाजुक

अगर बात देश की राजधानी दिल्ली की करें तो यहां के भी हालात बहुत ही नाजुक हैं यहां कोरोना ने अपने पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं मंगलवार को कोरोना के लगभग साढ़े 13 हजार मामले आए जोकि अभी तक का यानी कि जब से कोरोना महामारी की शुरुआत हुई है सबसे ज्यादा है. मरने वालों का आंकड़ा भी अब बढ़ने लगा है मंगलवार को दिल्ली में 81 लोगों की मौत हुई. वहीं केजरीवाल ने खासकर युवा वर्गों से यह अपील की है कि वह अनावश्यक रूप से घरों से ना निकले क्योंकि अभी हाल में जो मामले आ रहे हैं उसमें सबसे ज्यादा संक्रमित होने वाले जो लोग हैं वो 45 वर्ष से कम आयु के हैं. इसलिए अब युवाओं में भी संक्रमण का खतरा बहुत ही ज्यादा है. दूसरी तरफ गुजरात की स्थिति और भी ज्यादा भयावह है यहां शव दाह गृह की चिमनियां ज्यादा देर तक इस्तेमाल होने के कारण पिघलने लगी हैं क्योंकि  शव दाह गृह  तक शवों को लाए जाने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है.

महाराष्ट्र में 14 अप्रैल से lockdown जैसी सख्ती

एक महत्वपूर्ण खबर जोकि महाराष्ट्र से है यहां 14 अप्रैल से lockdown तो नहीं लेकिन lockdown जैसी ही पाबंदियां फिर से लगा दी गयी हैं.मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अपने संबोधन में कहा पाबंदियों को लगाना सरकार के लिए बड़ा ही कठिन निर्णय लेकिन मानवीय जीवन से ज्यादा बहुमूल्य और कुछ भी नहीं और इस को बचाने के लिए कुछ कठिन फैसले लेने होते. मालूम हो कि भारत में महाराष्ट्र की स्थिति अन्य सभी राज्यों से सबसे अधिक चिंताजनक है. यहां प्रतिदिन 50 से 60 हजार के बीच नए मरीज आ रहे हैं साथ ही साथ मौत के आंकड़े भी 200 से 300 के बीच प्रतिदिन रहता है.

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