कोविड-19 का B.1.617 VIRUS VARIANT जिसे पिछले साल सबसे पहली बार भारत में पहचाना गया था. इसे WHO ने भारत ही नहीं बल्कि विश्व के लिए “VARIANT OF CONCERN” का नाम दिया था.
सभी प्रमुख अखबारों ने इस खबर को प्रमुखता से छापा था. लेकिन डब्ल्यूएचओ ने कहीं भी इसे इंडियन स्ट्रेन नहीं कहा था.
वहीं सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर इस बात की चर्चा छिड़ गई थी कि यह इंडियन स्ट्रेन है और यह बेहद खतरनाक है. जिसे डब्ल्यूएचओ ने पुष्टि की है.
जबकि डब्ल्यूएचओ ने बाद में इस बात को क्लेरिफाई किया था कि इसे इंडियन स्ट्रेन कहीं भी नहीं कहा गया है.
डब्ल्यूएचओ ने कहा था कि इस वैरीअंट को सबसे पहले भारत में पहचाना गया ना कि ये इंडियन स्ट्रेन है.
बीते19 मई को अमेरिका ने कहा था कि अमेरिकन वैक्सीन कोविड-19 के उस खतरनाक स्ट्रेन पर भी प्रभावी है जिसे पहली बार भारत में पहचाना गया है. यहां भी इंडियन वैरीएंट नाम का जिक्र नहीं किया गया था.
लेकिन कुछ लोग जिन्हें इस बात की जानकारी नहीं है या फिर जो इतनी गहराई से समझ नहीं रखते हैं. वे भारत में सबसे पहले पहचाने गए शब्द की जगह भारतीय स्ट्रेन शब्द का इस्तेमाल सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर करने लगे. जिस पर सरकार ने आपत्ति जताई है.
मालूम हो कि इसी तरह डोनाल्ड ट्रंप ने जब कोरोनावायरस को चाइनीज वायरस कहा था तो चाइना ने इस पर गंभीर टिप्पणी की थी.
भारत सरकार के IT मंत्रालय ने सभी सोशल मीडिया के प्रबंधकों से कहा है कि जितनी जल्द हो उन सभी पोस्ट को हटा दिया जाए जिसमें corona को लेकर भ्रामक खबरें फैलाई जा रही हैं.
इन खबरों से भारत की छवि वैश्विक स्तर पर खराब हो रही है. आईटी मंत्रालय ने कहा है कि खासकर उन सभी पोस्ट को अविलंब हटाया जाए जिसमें corona के भारतीय स्वरूप को विदेशों के लिए खतरनाक बताया जा रहा है.
मंत्रालय का कहना है डब्ल्यूएचओ ने अपने वक्तव्य में कहीं भी भारतीय शब्द का प्रयोग नहीं किया है. इस कारण corona के B.1.617 स्वरूप को भारतीय स्वरूप कहा जाना एक प्रकार से दुष्प्रचार करने जैसा है.
आईटी मंत्रालय ने इसके लिए 12 मई 2021 को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के उस प्रेस विज्ञप्ति का हवाला भी दिया है. जिसमें सभी स्थितियों को स्पष्ट कर दिया गया था. उल्लेखनीय है कि भारत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और डिजिटल मंचों के लिए सबसे बड़े बाजारों में से एक है.
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