बिहार कर्पूरी ठाकुर(Karpuri Thakur) को केंद्र सरकार देगी भारत रत्न(Bharat Ratna) बदल जाएगी बिहार की चुनावी रणनीति 24 जनवरी को है 100वीं जयंती
बिहार के पूर्व मुख्य्मंत्री कर्पूरी ठाकुर(Karpuri Thakur 1924-1988)) को मोदी सरकार ने भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न(Bharat Ratna) देने की घोषणा की है.कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने की मांग बहुत पहले से की जा रही थी. जदयू और राजद द्वारा कई बार इसको लेकर मांग की गई. लेकिन केंन्द्र सरकार ने यह फैसला लोकसभा चुनाव 2024 से ठीक पहले लेकर बिहार की राजनीति में खासकर दलित पिछ्डे वर्ग के वोटरों में अपनी पैठ बनाने की एक जबर्द्स्त तैयारी की है. बताते चले कि कर्पूरी ठाकुर बिहार के पहले गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री थे और अपने सामाजिक सुधारों के लिए आज भी याद किये जाते हैं.
कर्पूरी ठाकुर और अंग्रेजी:कर्पूरी ठाकुर बिहार के दो बार मुख्यमंत्री और एक बार उपमुख्यमंत्री रहे थे.अपने कार्यकाल(1967 में शिक्षा मंत्री) के दौरान उन्होंने स्कूली शिक्षा में अंग्रेजी की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया था और कक्षा 8 तक के लिए मुफ्त शिक्षा की घोषणा की थी. कर्पूरी ठाकुर अपनी सादगी के लिए भी जाने जाते हैं. अगर जाति की बात करे तो नाई जाती से आते थे. जब तक वो राजनीति रूप से सक्रिय रहे तब तक समाज के वंचित वर्ग के प्र्मुख नेता बने रहे. कम ही लोग जानते हैं कि 1977 में मुख्यमंत्री रहते हुये कर्पूरी ठाकुर ने शराब बंदी का निर्णय लिया था.
कर्पूरी ठाकुर के यादगार नारे: कर्पुरी ठाकुर जीवनभर वंचितों और दलितों को समाज में उचित स्थान दिलाने के लिए लडाई लडते रहे. इसी संदर्भ में उनके द्वारा दिए गये कुछ नारे आज फिर से याद किये जा रहे हैं जैसे: पढ़ जायेगा तो बढ़ जाएगा, अधिकार चाहो तो लड़ना सीखो, पग पग पर तुम अड़ना सीखो जीना है तो मरना सीखो, जब तक भूखा इंसान रहेगा धरती पर तूफ़ान रहेगा, कमाने वाला खायेगा लूटने वाला जायेगा, संसोपा ने बांधी गांठ पिछड़ा पावें सौ में साठ पूरा राशन, पूरा काम नहीं तो होगा चक्का जाम.
कर्पुरी ठाकुर मूलरूप से बिहार के समस्तीपुर के रहने वाले थे.गौर करने वाली बात है कि बीते दिनों ही बिहार सरकार द्वारा समस्तीपुर में 500 बिस्तर वाले रामजानकी मेडिकल कॉलेज का उद्घाटन किया था. यह ठीक ऐसे वक्त किया गया जब प्रधानमंत्री मोदी राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्र्म शामिल हो रहे थे.राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के ठीक एक दिन बाद मोदी सरकार ने कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने की घोषणा कर बिहार के साथ-साथ देश को यह सीधा संदेश देने की कोशिश की है कि मोदी सरकार पिछडों और द्लितों को लेकर बेहद ही गंभीर है.
कर्पूरी ठाकुर के बेटे का बयान: कर्पुरी ठाकुर ने साल 1952 में पहला चुनाव जीता था और 1970 में उपमुख्य्मंत्री बने. कर्पुरी ठाकुर ने जनप्रतिनिधियों को पेंशन दिये जाने का विरोध किया था. 24 जनवरी 2024 को कर्पुरी ठाकुर की 100वीं जयंती है और उससे पहले केंन्द्र सरकार द्वारा कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिये जाने की घोषणा से बिहार के आमजनों में खुशी का माहौल हैवहीं कर्पुरी ठाकुर के बेटे ने केंद्र सरकार के इस निर्णय पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि 36 साल की तपस्या का फल मिला है. ये बिहार की 15 करोड की जनता के लिए बहुत ही गर्व की बात है.