भूपेंद्र पटेल (Bhupendra Patel) गुजरात के अगले मुख्यमंत्री बनेंगे, उन्हें विधायक दल का नेता चुन लिया गया है.
कल गुजरात के वर्तमान CM विजय रुपाणी(Vijay Rupani) ने अपना इस्तीफा गुजरात के राज्यपाल को सौंपा था.
भूपेंद्र पटेल के नाम का प्रस्ताव भी गुजरात के वर्तमान मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने रखा था, जिसको सर्वसम्मति से मान लिया गया.
भूपेंद्र भाई पटेल मात्र 12वीं पास हैं, इनको गुजरात की पूर्व मुख्यमंत्री आनंदी पटेल का नजदीकी माना जाता है.भूपेंद्र पटेल 2017 में पहली बार विधायक चुने गए थे.
गुजरात में पर्यवेक्षक के रुप में गए नरेंद्र सिंह तोमर ने मीडिया के सामने गुजरात के अगले मुख्यमंत्री के रूप में भूपेंद्र भाई पटेल का एलान विधायक दल की बैठक की बाद किया.
नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि बैठक में मुख्यमंत्री विजय रूपानी ने ही भूपेंद्र भाई पटेल का नाम गुजरात के अगले मुख्यमंत्री के रूप में किया. जिसका समर्थन गुजरात के वर्तमान डिप्टी सीएम नितिन पटेल ने किया. इसके बाद सर्वसम्मति से इनके नाम पर मुहर लग गई.
भूपेंद्र भाई पटेल ने 2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमाई थी और बंपर वोटों के साथ जीत भी दर्ज की थी. इन्होंने आनंदीबेन पटेल के सीट से ही चुनाव लड़ा था. आनंदीबेन पटेल ने 2017 का चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था.
इस चुनाव में भूपेंद्र भाई पटेल ने कांग्रेस के उम्मीदवार शशिकांत पटेल को लगभग सवा लाख मतों से पराजित किया था. भूपेंद्र भाई पटेल को एक लाख 75 हजार मत मिले थे जबकि कांग्रेस प्रत्याशी शशिकांत पटेल को मात्र 57902 मत मिले थे.
मालूम हो कि भूपेंद्र पटेल को आनंदीबेन पटेल के कहने पर ही विधानसभा चुनाव में टिकट दिया गया था. CM की रेस में भूपेंद्र पटेल का नाम कभी भी सामने नहीं आया था.
भूपेंद्र भाई पटेल को सरकार में कभी कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं मिली है. यहां तक कि इनको कभी किसी मंत्रालय का कार्यभार भी नहीं सौंपा गया है.
इस कारण इन्हें अनुभवी तो नहीं कहा जा सकता लेकिन इनकी स्वच्छ छवि का फायदा बीजेपी को आने वाले विधानसभा चुनाव में मिल सकता है.
जन आशीर्वाद यात्रा से संवेदनशील बनी BJP और खिसक गई रुपाणी की कुर्सी!!
रूपानी के कार्यकाल के लिटमस टेस्ट के लिए गुजरात में जन आशीर्वाद यात्रा निकाली गई थी,जिसमें कई केंद्रीय मंत्रियों ने भी हिस्सा लिया था.
लेकिन इस यात्रा में इन्हें कई जगहों पर जनता के गुस्से का सामना करना पड़ा, खासकर कोविड-19 में हुई परेशानियों की वजह से.
और ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि इस यात्रा के ठीक बाद रुपाणी को हटाने का फैसला लिया गया.
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो इस यात्रा के बाद बीजेपी ने कुछ आंतरिक सर्वे भी कराया था.
जिसमें यह बात निकलकर सामने आई थी कि अगर विजय रुपाणी के नेतृत्व में अगला विधानसभा चुनाव लड़ा गया तो बीजेपी को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है. मालूम हो कि 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 99 सीटें मिली थी.
उत्तराखंड कर्नाटका के बाद गुजरात तीसरा राज्य है जहां की मुख्यमंत्री को कार्यकाल पूरा करने के पहले ही हटाया गया.
अब तक भाजपा ने 6 महीने के अंदर 4 मुख्यमंत्रियों को बिना कार्यकाल पूरा हुए ही बदल दिया है.
इन घटनाक्रमों में खास बात यह रही कि चाहे उत्तराखंड हो या गुजरात कहीं भी कोई विरोध देखने को नहीं मिला लेकिन कर्नाटका में येदयुरप्पा को हटाने के कारण लिंगायत समुदाय ने विरोध प्रदर्शन किया था कर्नाटक के विरोध प्रदर्शन को लिंगायत समुदाय के नेता को ही मुख्यमंत्री के रूप में पेश कर समाप्त कर दिया गया था.
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