Chandigarh Central Service Rule Row:चंडीगढ़ के कर्मचारियों को केंद्रीय नियम के अंतर्गत लाने के फैसले का पंजाब सरकार ने किया विरोध कहा यह तानाशाही

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Chandigarh Central Service Rule Row: चंडीगढ़ पर भाजपा ने चला नया दांव, केंद्र सरकार एक झटके में 23 हजार कर्मचारियों को सेंट्रल सर्विस रूल के दायरे में ले आई, भगवंत मान सरकार ने कहा यह नामंजूर

अभी पंजाब में आम आदमी पार्टी को सत्ता में आए एक महीना भी नहीं बीता है लेकिन केंद्र की बीजेपी सरकार से तनातनी की शुरुआत हो चुकी है. मामला चंडीगढ़ के कर्मचारियों पर नए केंद्रीय नियम(New Central service Rule) लागू किए जाने से संबंधित है.

दरअसल केंद्र की बीजेपी सरकार ने चंडीगढ़ में कार्यरत 23 हजार कर्मचारियों को सेंट्रल सर्विस रूल के दायरे में ले आई है, इससे कर्मचारियों को फायदा होगा ऐसा केंद्र की भाजपा(BJP) सरकार का कहना है.

वहीं चंडीगढ़ के कर्मचारियों पर केंद्रीय नियम लागू होने को लेकर पंजाब की नवगठित भगवंत मान(Bhagwant Mann) सरकार ने इसे पंजाब के साथ अन्याय करार दिया है और इसके लिए केंद्र सरकार को कोर्ट में घसीटने की बात भी कही है.

मालूम हो कि चंडीगढ़ एक केंद्र शासित प्रदेश है. लेकिन पंजाब की राजधानी भी चंडीगढ़ है. इस कारण वहां कोई भी नियम लागू करने से पहले पंजाब सरकार से भी सहमति ली जाती थी. जिस कारण कभी-कभी केंद्र शासित चंडीगढ़ में कार्यरत कर्मचारियों के लिए फैसलों को लागू करने में देरी होती थी.

इस नए केंद्रीय नियम के लागू होने के बाद चंडीगढ़ में कार्यरत 23000 कर्मचारियों पर पंजाब सरकार का नियंत्रण समाप्त हो जाएगा साथ ही इस नए नियम से चंडीगढ़ के कर्मचारियों को थोड़ा फायदा भी मिलता दिख रहा है.

चंडीगढ़ में नए नियम लागू होने से कॉलेज में कार्यरत शिक्षकों की सेवानिवृत्ति की उम्र 58 से 65 साल हो जाएगी वही तकनीकी कॉलेजों के लिए सेवानिवृत्ति की उम्र 60 से 65 हो जाएगी.

चंडीगढ़ के कर्मचारियों को केंद्रीय नियम के दायरे में आने से एक और बड़ा लाभ मिलेगा वह है उनके वेतन में 15% तक की वृद्धि हो सकती है. ऐसा इसलिए क्योंकि इन कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों का लाभ अभी नहीं मिल रहा है. इस नियम के लागू होने से उन्हें इसका लाभ मिलेगा.

लेकिन पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान का कहना है कि सातवां वेतनमान लागू होने से उन्हें हानि होगी. मान ने यह भी कहा है कि चंडीगढ़ के कर्मचारियों ने खुद ही सातवें वेतनमान का विरोध किया था.

गौरतलब है कि केंद्र में भाजपा की सरकार है और लाख जद्दोजहद के बाद भी भाजपा पंजाब विधानसभा चुनाव में कोई करिश्मा नहीं कर पाई. इसलिए बीते कुछ महीनों के घटनाक्रम पर नजर डालें तो ऐसा लगेगा कि बीजेपी हर संभव कोशिश कर रही है, जिससे कि वह पंजाब में अपनी उपस्थिति दर्ज करा सके और आने वाले लोकसभा चुनाव में पंजाब पर फतह हासिल कर सके.

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