Pegasus जासूसी मामले में आज सुप्रीम कोर्ट(SC) ने एक अहम फैसला सुना दिया है. सुप्रीम कोर्ट में तीन जजों की खंडपीठ जिसकी अगुवाई चीफ जस्टिस एन वी रमन्ना कर रहे थे, इस पीठ ने आज Pegasus जासूसी मामले में कमेटी गठन का आदेश दे दिया है.
Pegasus matter | Supreme Court says there has been no specific denial by Centre in the issue, thus we have no option but to accept the submissions of petitioner prima facie and we appoint an expert committee whose function will be overseen by the Supreme Court. pic.twitter.com/JUoGEaqLzo
— ANI (@ANI) October 27, 2021
अदालत की तीन सदस्यीय पीठ ने अपने फैसले में कहा है कि केंद्र सरकार की तरफ से किसी प्रकार की कोई स्पेसिफिक डिनायल को नहीं देखते हुए हमारे पास दूसरा कोई और विकल्प नहीं बचा है. इसलिए हम कमेटी का गठन करते हैं.
इस कमेटी में आरवी रविंद्रन पूर्व जज सुप्रीम कोर्ट के साथ-साथ संदीप ओबरॉय और आलोक जोशी होंगे. सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि या जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में होगी और इसकी सुनवाई अब 8 सप्ताह के बाद की जाएगी.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पहले जब पिटीशनर हमारे पास आए थे तो उनके पास आरोप के रूप में अखबारों की कटिंग थी. जिस पर कि हम उनकी याचिका को ठुकरा सकते थे. लेकिन बाद में खुद पीड़ित व्यक्ति हमारे पास आया तो हमें इस याचिका को स्वीकार करना जरूरी था.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जासूसी मामले में केंद्र सरकार कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दे पाई ना ही स्पष्ट तरीके से इसका विरोध ही किया है. इस कारण नागरिकों के निजता के अधिकार पर हम मौन नहीं रह सकते.
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि टेक्नोलॉजी बढ़ती जा रही है इस कारण सुरक्षा भी जरूरी है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा निजता की सुरक्षा किसी एक या दो व्यक्ति की बात नहीं है बल्कि यह पूरे नागरिक समाज की बात है.
मालूम हो कि पेगासस मामले में बड़े बड़े पत्रकारों, व्यापारियों, पॉलीटिकल एक्टिविस्ट, सोशल एक्टिविस्ट और कई पूर्व जजों की भी जासूसी करने के आरोप लगे हैं. मीडियारिपोर्ट्स के अनुसार भारत के 300 मोबाइल नंबर स्पष्ट रूप से पेगासस की निगरानी में थे.
जासूसी मामले में भारत समेत विश्व के कई अन्य देश के लोग शामिल हैं. जिनकी जासूसी इस सॉफ्टवेयर की मदद से करने के आरोप लगे हैं. पेगासस(Pegasus) एक इजराइली सॉफ्टवेयर है. जिसके द्वारा जासूसी करने के आरोप लगाए जा रहे हैं.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में Pegasus जासूसी मामले को लेकर 12 याचिकाएं दायर की गई थी. इन याचिकाओं की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के 3 जजों की खंडपीठ कर रही थी.
जिसमें चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना( CJI N.V.Ramna), जस्टिस हिमा कोहली( justice Hima Kohli) और जस्टिस सूर्यकांत(Justice Suryakant) शामिल थे.
मालूम हो कि केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा और जनहित का हवाला देते हुए इस केस में विस्तृत हलफनामा दाखिल करने से इंकार कर दिया था.
केंद्र सरकार द्वारा पेगासस निगरानी को लेकर विस्तृत हलफनामा दायर करने से इनकार करने के बाद ही सुप्रीम कोर्ट ने स्वतंत्र जांच कमेटी का गठन किया है.
पेगासस मामले में इजरायल की सॉफ्टवेयर कंपनी ने भी अपनी सफाई पेश की थी जिसमें कहा गया था कि ऐसी जासूसी नहीं की गई है और अगर ऐसा कुछ हुआ है तो इस पर कार्यवाही की जाएगी.
यहां यह बताना जरूरी है कि इजरायली सॉफ्टवेयर एजेंसी सिर्फ और सिर्फ गवर्नमेंट और गवर्नमेंट ऑर्गेनाइजेशन को ही अपनी सेवाओं प्रदान करती हैं. इसलिए बार-बार सरकार और सरकार की एजेंसियों पर सवाल खड़े हो रहे हैं.