संयुक्त किसान मोर्चे(Sanyukt Kisan Morcha) के प्रतिबंध पर योगेंद्र यादव(Yogendra Yadav) का समझदारी भरा जवाब

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कल संयुक्त किसान मोर्चा(Sanyukt Kisan Morcha) ने योगेंद्र यादव(Yogendra Yadav) पर किसान आंदोलन(kisan andolan) से जुड़ी गतिविधियों में भाग लेने पर एक महीने का प्रतिबंध लगा दिया था. इस प्रतिबंध पर योगेंद्र यादव ने अपनी प्रतिक्रिया दी है.

मालूम हो कि योगेंद्र यादव लखीमपुर खीरी(Lakhimpur Kheri) हिंसा में मारे गए बीजेपी कार्यकर्ता शुभम मिश्रा(Subham Mishra BJP) के घर संवेदना व्यक्त करने गए थे. जिसके बाद किसान संगठनों ने इसका विरोध किया था और कल योगेंद्र यादव पर 1 महीने के लिए किसी भी गतिविधि में भाग लेने  प्रतिबंध लगा दिया है.

जब योगेंद्र यादव से किसान मोर्चा द्वारा लगाए गए प्रतिबंध पर उनकी प्रतिक्रिया पूछी गई तो उन्होंने बड़े ही सरल ढंग से इसका जवाब दिया है.

योगेंद्र यादव ने अपने बयान में कहा है कि संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में पिछले 11 महीने से किसान विरोधी बीजेपी(BJP) सरकार द्वारा थोपे काले कानूनों के विरुद्ध चल रहा आंदोलन देश के लिए आशा की किरण बनकर आया है.

योगेंद्र यादव का आधिकारिक बयान
योगेंद्र यादव का आधिकारिक बयान 

योगेंद्र यादव(Yogendra Yadav) किसान आंदोलन को ऐतिहासिक आंदोलन बताते हुए कहते हैं कि इस ऐतिहासिक आंदोलन की एकता और इसकी सामूहिक निर्णय प्रक्रिया को बनाए रखना आज के वक्त की सबसे बड़ी जरूरत है.

अपने बयान में योगेंद्र यादव लखीमपुर खीरी(Lakhimpur Kheri) की घटना का भी जिक्र करते हैं. योगेंद्र यादव कहते हैं लखीमपुर खीरी में 4 शहीद किसानों और एक पत्रकार की श्रद्धांजलि सभा में भाग लेने के बाद मैं उसी घटना में मृतक बीजेपी कार्यकर्ता शुभम मिश्रा (Subham Mishra) के घर गया था. उनकी शान में नहीं बल्कि उनके परिवार से शोक संवेदना व्यक्त करने के लिए.

शुभम मिश्रा के घर जाने को योगेंद्र यादव इसे भारतीय संस्कृति और इंसानियत से जोड़कर बताते हैं. योगेंद्र यादव अपने बयान में कहते हैं कि अपने विरोधियों के दुख में शरीक होना इंसानियत और भारतीय संस्कृति के अनुरूप है. योगेंद्र यादव आगे कहते हैं मेरी यह समझ रही है कि मानवीय संवेदनाएं कि सार्वजनिक अभिव्यक्ति से कोई आंदोलन कमजोर नहीं बल्कि मजबूत होता है.

योगेंद्र यादव ने अपने बयान में किसान संगठनों में हो रही बयानबाजी को भी तवज्जो देते हैं. योगेंद्र यादव कहते हैं जाहिर है आंदोलन में हर साथी इस राय से सहमत नहीं हो सकता और मेरी उम्मीद है कि इस सवाल पर एक सार्थक संवाद शुरू हो सकेगा.

योगेंद्र यादव ने आंदोलन को व्यक्तिगत समझ से ऊपर बताया है और इसे एक सामूहिक प्रयास की संज्ञा दी है. योगेंद्र यादव कहते हैं आंदोलन में व्यक्तिगत समझ से ऊपर होती है सामूहिक राय. मुझे खेद है यह निर्णय लेने से पहले मैंने संयुक्त किसान मोर्चा के अन्य साथियों से बात नहीं की.

योगेंद्र यादव ने अपने सभी किसान साथियों से कहा है कि मुझे इस बात का भी दुख है कि इस खबर से किसान आंदोलन से जुड़े अनेक साथियों को ठेस पहुंची है. मैं संयुक्त किसान मोर्चा की सामूहिक निर्णय प्रक्रिया का सम्मान करता हूं और इस प्रक्रिया के तहत दी गई सजा को सहर्ष स्वीकार करता हूं.

योगेंद्र यादव के इस बयान के बाद राजनीतिक अटकलें अब समाप्त हो गई हैं कुछ मीडिया रिपोर्ट में यह बात सामने आने लगी थी कि योगेंद्र यादव और किसान मोर्चा के बीच अब संबंध पहले जैसे नहीं रहे हैं.

खासकर किसान मोर्चा द्वारा सजा की घोषणा के बाद राजनीतिक दलों द्वारा योगेंद्र यादव पर तरह-तरह की टिप्पणियां की जाने लगी थी. अब योगेंद्र यादव के कूटनीतिक बयान के बाद इन सभी टिप्पणियों पर विराम लग गया है.

किसान आंदोलन पर सुप्रीम कोर्ट सख्त़ साथ ही निहंग सिखों द्वारा की जा रही हिंसा के कारण भी पड़ रहा है आंदोलन पर असर

मालूम हो कि किसान आंदोलन को लेकर अब सुप्रीम कोर्ट का भी रुख सख्त होता जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने हाइवे जाम को लेकर यह साफ कर दिया है कि आंदोलन करना बुरा नहीं है लेकिन हाईवे को जाम करना भी ठीक नहीं.

हाईवे खुलवाने को लेकर कुछ लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका डाली थी उन जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने किसान संगठनों को भी पार्टी बनाया है.

अभी इन याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने कोई निर्णय नहीं लिया है. अब इन याचिकाओं पर अगली सुनवाई दिसंबर में होगी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट के सख्त रवैया का असर किसान आंदोलन पर पड़ने लगा है.

सिंघु बॉर्डर समेत कई और किसान आंदोलन वाले स्थानों पर किसानों की संख्या घटने लगी है. साथ ही हाईवे से जाम को किसान स्वतः हटा रहे हैं.

हाईवे पर जाम लगाने के संबंध में किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि किसानों ने हाइवे जाम नहीं किया है बल्कि हाईवे को पुलिस प्रशासन ने जाम कर रखा है.

दूसरी तरफ किसान आंदोलन में निहंग सिखों द्वारा हिंसा की घटना के बाद भी किसान आंदोलन पर असर पड़ा है.

मालूम हो कि पंजाब के दलित को निहंग सिखों द्वारा कथित रूप से पैर हाथ काट कर किसान आंदोलन वाले स्थान पर बैरिकेड से टांग दिया गया था. इस संबंध में निहंग की गिरफ्तारी भी हुई है.

इस गिरफ्तारी के बाद एक निहंग सिख नेता की तस्वीर बीजेपी नेता के साथ वायरल हो गई जिसके बाद बीजेपी भी बैकफुट पर आ गई है. वायरल तस्वीर में यह साफ देखा जा सकता है कि हिंसा में शामिल निहंग सिख कृषि मंत्री के साथ फोटो खिंचवा रहे हैं.

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