ELectric Crisis देश में कुछ दिनों से ऊर्जा संकट को लेकर चर्चाएं हो रही हैं. खासकर दिल्ली में ऊर्जा संकट को गंभीरता से लिया जा रहा है. दिल्ली के मुख्यमंत्री ने कोयले की आपूर्ति के लिए प्रधानमंत्री मोदी को एक पत्र भी लिखा है. दिल्ली के ऊर्जा मंत्री सत्येंद्र जैन ने तो यहां तक कह दिया था कि अगर एक-दो दिन में कोयले की आपूर्ति सुनिश्चित नहीं की गई तो दिल्ली में ब्लैक आउट हो सकता है.
इन सबके बीच भारत के ऊर्जा मंत्री का एक महत्वपूर्ण बयान आया है ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने कहा है कि दिल्ली या देश में कहीं भी कोई ऊर्जा संकट नहीं है. कोयले की आपूर्ति को लेकर उन्होंने कहा कि हम लगातार मॉनिटरिंग कर रहे हैं और हमारे पास पर्याप्त स्टाफ मौजूद है.
ऊर्जा मंत्री ने साफ कहा कि कुछ लोग बिजली संकट को लेकर अफवाह फैला रहे हैं खासकर उनका निशाना दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर रहा. मालूम हो कि बीते दिनों पंजाब के मुख्यमंत्री ने भी केंद्र से या गुहार लगाई थी कि जल्द से जल्द कोयले की आपूर्ति सुनिश्चित की जाए नहीं तो एक अभूतपूर्व बिजली संकट पैदा होने की संभावना है.
पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने पंजाब के लोगों से वर्तमान बिजली संकट को देखते हुए यह निवेदन किया है कि वह कम से कम बिजली का उपयोग करें जिससे कि बिजली संकट से निपटा जा सके.
बिहार में भी दो थर्मल पावर प्लांट कांटी थर्मल पावर प्लांट और बरौनी पावर प्लांट में उत्पादन को लेकर संशय बना हुआ है. जिस कारण बिहार में बिजली संकट पैदा होने की संभावना है.
लेकिन ऊर्जा मंत्री के इस बयान के बाद अब अजीब सी स्थिति उत्पन्न हो गई है कि राज्य सरकार के डाटा पर भरोसा किया जाए या फिर केंद्र सरकार के द्वारा दिए गए वक्तव्य पर. मीडिया रिपोर्ट्स में खुलासा किया गया है कि कई राज्य सरकार corona संकट के कारण बिजली उत्पादन के लिए पर्याप्त कोयले की खरीद नहीं कर पाई है.
बिजली की निर्बाध आपूर्ति के लिए कोयले की खरीद अप्रैल मई के महीने में ही कर ली जाती है. क्योंकि इसके बाद बरसात के कारण खदानों में पानी भर जाते हैं. कई राज्य सरकारों पर यह आरोप लग रहा है कि उन्होंने पहले से बिजली संकट पर ध्यान नहीं दिया और जब यह समस्या विकराल रूप लेने वाली है तब वह हो-हल्ला मचा रहे हैं.
अगर बात दिल्ली की करें तो दिल्ली में अपना कोई पावर प्लांट नहीं है. दिल्ली दिल्ली में पहले थर्मल पावर प्लांट थे लेकिन 2009 से लेकर अभी तक बीते 12 सालों में 3 पावर प्लांट बंद हो गए हैं.
बिजली संकट को देखते हुए केंद्र सरकार ने दिशा निर्देश जारी किया है और सभी पावर प्लांट को यह निर्देश दिया है कि वह पूरी क्षमता के साथ बिजली का उत्पादन करें. भारत में लगभग 70% से भी अधिक बिजली का उत्पादन कोयले से किया जाता है.
वर्तमान में भारत में 135 पावर प्लांट हैं जिसमें बिजली का उत्पादन कोयले से किया जाता है. कोयले की कमी के कारण यह सभी 135 पावर प्लांट में उत्पादन से जुड़े संकट उत्पन्न होने की संभावना है. क्योंकि यह सभी पावर प्लांट कोयले की कमी से जूझ रहे हैं.
मालूम हो कि बिजली संकट आज एक वैश्विक समस्या बन गई है. क्योंकि कोयले की कमी विश्व के लगभग सभी देशों में है, जहां पर बिजली का उत्पादन कोयले से होता है. लेबनान विश्व का एक ऐसा देश बन गया है जहां पूर्ण रूप से बिजली बंद हो गई है. वहां पर कंप्लीट ब्लैक आउट है.
भारत में भी ऐसी ही संभावना जताई जा रही हैं. लेकिन ऊर्जा मंत्री के दिए गए बयान के बाद कुछ हद तक राहत मिली है. अब देखना यह है कि ऊर्जा मंत्री का बयान कहां तक सही साबित होता है. इसके बारे में आने वाले दिनों में ही पता चलेगा जब भारत में ऊर्जा संकट जैसी कोई स्थिति नहीं आएगी.