Cap Amarinder Singh ने सियासी खींचतान के बीच पंजाब (Punjab) मुख्यमंत्री(CM) पद से अपना इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने आज ही अपना इस्तीफा राज्यपाल को सौंप दिया.
मालूम हो कि आज ही कैप्टन अमरिंदर सिंह और Congress की चेयरपर्सन सोनिया गांधी में बातचीत हुई थी. इस बातचीत के बाद अमरिंदर सिंह ने साफ कहा था कि वह ऐसे हालात में काम नहीं कर सकते.
Submitted my resignation to Honble Governor. pic.twitter.com/sTH9Ojfvrh
— Capt.Amarinder Singh (@capt_amarinder) September 18, 2021
Punjab CM कैप्टन अमरिंदर सिंह के दिए गए बयानों से यह साफ़ है कि वह कांग्रेस में घुटन महसूस कर रहे थे.
कैप्टन अमरिंदर सिंंह कहते है कि यह कोई पहली घटना नहींं है ऐसा तीसरी बार है, जब मेरे नेतृत्व पर सवाल उठाए गए, मेरे नेतृत्व पर संदेह किया गया.
अमरिंदर सिंह ने आगेे कहा, मुझेे लगता मेरा अपमान हुआ है. इन कारणों से मैंने इस्तीफा देने का फैसला किया है.
आगेे नेतृत्व किसे दिया जाएगा इस पर अमरिंदर सिंह नेे कहा यह आला कमान का फैसला होगा, वह जिसे नेतृत्व देना चाहें उसे दे सकते हैं.
जब से पंजाब में कांग्रेस की कमान नवजोत सिंह सिद्धू ने संभाली है तब से पंजाब में सियासी उठापटक का दौर जारी था.
और आज कैप्टन अमरिंदर सिंह के इस्तीफे के साथ यह दौर समाप्त हुआ लेकिन अभी इसके परिणाम आने बाकी हैं क्योंकि पंजाब में अगले ही साल चुनाव होने वाले हैं.
कैप्टन अमरिंदर सिंह की पकड़ पार्टी और जनता दोनों पर ही नवजोत सिंह सिद्धू के मुकाबले ज्यादा माना जाता है. अब देखना यह है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह कांग्रेस में ही रहते हैं या फिर वह भी किसी और सियासी समीकरण का हिस्सा बनते हैं.
कैप्टन अमरिंदर सिंह के इस्तीफे से कांग्रेस को तगड़ा नुकसान होने की संभावना है, क्योंकि कैप्टन अमरिंदर सिंह ऐसे नेता है जो अपने दम पर पंजाब में कांग्रेस को सत्ता में वापसी करा सकते थे.
कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भी सियासी उठापटक का दौर जारी है. मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो इन दोनों राज्यों में भी राजनीतिक हालात सही नहीं हैं. खासकर वर्तमान में छत्तीसगढ़ की राजनीति गरमाई हुई है.
बीजेपी और कांग्रेस में अगर तुलना करें तो दोनों में अभी एक फर्क साफ देखने को मिल रहा है. जहां बीजेपी आलाकमान का फैसला उनके मुख्यमंत्रियों को सहज मंजूर हो जाता है.
वहीं कांग्रेस पार्टी में यह बात देखने को नहीं मिल रही है. अभी हाल में ही गुजरात में मुख्यमंत्री सहित पूरे मंत्रिपरिषद को बदल दिया गया. कर्नाटक और उत्तराखंड में भी मुख्य मंत्रियों को बदला गया.
भीतर खाने जो भी बात हुई हो लेकिन मीडिया में या फिर BJP के किसी बड़े नेता के द्वारा कोई बड़ी नाराजगी नहीं दर्ज की गई, इसे बीजेपी के मजबूत संगठन का उदाहरण कह सकते हैं.