Tariff Relief: टैरिफ पर ट्रंप का पॉज बटन 26 से घटकर 10%…कहा यह है इनाम!

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Tariff Relief Update: टैरिफ विवाद पर ट्रंप ने दबाया पॉज बटन 26 से घटकर 10% लेकिन 90 दिनों के बाद क्या?

Tariff Relief:अमेरिका ने टैरिफ विवाद पर एक बड़ा फैसला लिया है, इस फैसले के बाद विश्व के करीब 75 देशों को राहत की सांस मिली है, लेकिन यह राहत सिर्फ 90 दिनों के लिए है. ट्रंप प्रशासन ने पिछले दिनों एक बेहद ही अप्रत्याशित फैसला लेते हुए भारत समेत कई अन्य देशों से आयातित वस्तु(Imported Goods) पर लगने वाले  टैरिफ को बढ़ा दिया था. जिसके बाद कहीं दबी जुबान तो कहीं मुखर रूप से ट्रंप के इस निर्णय की आलोचना हो रही थी, जबकि इस पूरे घटनाक्रम पर  ट्रम्प प्रशासन का कहना था कि अमेरिकी हितों की रक्षा के लिए ऐसा करना बेहद जरूरी था.

बताते चलें कि पिछले दिनों अमेरिका ने भारत समेत कई देशों से आयातित वस्तुओं पर लगने वाले टैरिफ को अप्रत्याशित रूप से बढ़ा दिया था। भारत से आयातित वस्तुओं पर टैरिफ को बढ़ाकर 26% कर दिया गया था, जिसके बाद भारतीय उद्योग जगत में निराशा का माहौल बन गया था. लेकिन अब ट्रम्प प्रशासन ने भारत समेत करीब 75 देशों को राहत देते हुए अपने फैसले को 90 दिनों के लिए टाल दिया है. वहीं चीन को लेकर डोनाल्ड ट्रंप की नीति और सख्त हो गई है.

चीन और अमेरिका के बीच टैरिफ विवाद बढ़ता ही जा रहा है, जहां चीन ने अमेरिका पर जवाबी कार्रवाई करते हुए अमेरिका से आयातित वस्तुओं पर लगने वाले टैरिफ को 84% कर दिया तो अमेरिका ने भी चीन चीन से आयातित वस्तुओं पर लगने वाल वाले टैरिफ को बढ़ाकर 125% कर दिया, अब देखना यह है कि आगे क्या होता है.

वहीं अमेरिका की डोनाल्ड ट्रम्प सरकार ने यह साफ कहा है कि जिन देशों ने अमेरिका के द्वारा टैरिफ बढ़ाए जाने के बाद प्रतिक्रिया के तौर पर अमेरिका पर अतिरिक्त टैरिफ नहीं लगाया उन देशों को इनाम स्वरूप 90 दिनों की राहत दी जा रही है, लेकिन विशेषज्ञों की माने तो अमेरिका के द्वारा अप्रत्याशित रूप से टैरिफ में बढ़ोतरी के बाद वैश्विक बाजार लड़खड़ाने लगा था और ऐसा कहा जा रहा है कि ट्रंप ने यह निर्णय बाजार के रूख को देखते हुए ही लिया है.

लेकिन इन सबके बीच ट्रंप प्रशासन का साफ कहना है कि हमने 90 दिनों की राहत बाजार के रूख को देखते हुए नहीं लिया है बल्कि यह उन देशों को इनाम है, जिन्होंने अमेरिकी फैसले के बाद किसी भी प्रकार की नकारात्मक कार्रवाई नहीं की. अमेरिकी प्रशासन द्वारा भारत पर टैरिफ बढ़ाए जाने के बाद भारत सरकार के द्वारा कोई विशेष प्रतिक्रिया नहीं दी गई, ऐसा लग रहा है कि भारत की मोदी सरकार अपनी विदेश नीति को लेकर बहुत ही संभल कर कदम उठा रही  है, और वेट एंड वॉच की स्थिति में है.

बताते चलें कि ट्रंप प्रशासन ने भारत को जो 90 दिनों की राहत दी है, इसमें बढ़े  हुए टैक्स को यानी 26% टैक्स को 10% कर दिया गया है, जो कि तुरंत प्रभाव से लागू भी हो गया है.भारत के अलावा जिन अन्य देशों को ट्रम्प सरकार द्वारा राहत दी है उसमें कनाडा और मेक्सिको भी शामिल हैं.

भारत में कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रंप के द्वारा चीन पर लगाए जा रहे रिसिप्रोकल टैरिफ(Reciprocal Tariffs) से भारत को फायदा भी मिल सकता है, क्योंकि चीन पर अत्यधिक टैरिफ लगने से अमेरिकी बाजार में चीन से आयातित वस्तुओं की कीमतों में भारी इजाफा होगा जिससे कि मांग में कमी आने की संभावना है, ऐसे में भारत समेत कई अन्य देश मौके का फायदा उठा सकते हैं.

ट्रंप प्रशासन ने जैसे ही बढ़ाए हुए टैरिफ पर राहत दी तो इसका असर बाजार पर भी दिखा, अमेरिकी बाजार में तेजी देखी गई, वहीं अब भारतीय बाजार भी इस फैसले के बाद सुधार की ओर बढ़ता हुआ दिख रहा है, लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि यह राहत सिर्फ 90 दिनों के लिए है, और निश्चित रूप से बाजार 90 दिनों तक निवेश संबंधित कोई बड़ा फैसला करने से पहले डरेगा.

यहां यह बात भी गौर करने वाली है कि अगर ट्रंप के टैरिफ बढ़ाए जाने संबंधित निर्णय को और बयानों को बारीकी से देखें तो यह सामने आता है कि ट्रंप का कोई भी फैसला सीधे चीन को देखते हुए लिया जा रहा है, और इस टैरिफ की लड़ाई में चीन और अमेरिका आमने-सामने है, ना तो चीन झुकने को तैयार है और ना हीं अमेरिका कोई राहत देने के मूड में लगता है.

भारत और अन्य देशों के लिए चिंता का विषय यह है कि ट्रम्प प्रशासन द्वारा टैरिफ में 90 दिनों के लिए राहत तो दी गई है, लेकिन जिस प्रकार की भाषा का इस्तेमाल ट्रंप प्रशासन और ट्रंप के द्वारा किया जा रहा है है वह कहीं से भी स्थायित्व की ओर संकेत नहीं देता है. ट्रम्प प्रशासन और ट्रंप के द्वारा बार-बार यह कहा जाना कि जिन देशों ने जवाबी कार्यवाही नहीं कि हम उन्हें इनाम दे रहे हैं! यह एक प्रकार से धमकाने वाली भाषा प्रतीत होती है, जिससे कि बाजार का रुख कितना सकारात्मक होगा यह तो आने वाला समय ही बताएगा. लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो भारत सरकार लगातार ट्रम्प प्रशासन से संपर्क में है और इस समस्या के समाधान के लिए रास्ता खोज रही है.

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