Agniveer Guard Of Honour Controversy: अग्निवीर को मृत्यु के बाद गॉड ऑफ ऑनर नहीं दिए जाने का कारण आया सामने जानिए सेना के नियम

Agniveer Guard Of Honour Controversy
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Agniveer Guard Of Honour Controversy:मृतक अग्निवीर को गॉड ऑफ़ ऑनर नहीं दिए जाने के पीछे की सच्चाई आई सामने

पंजाब से अग्निवीर(Agniveer) में भर्ती हुए एक युवक अमृतपाल सिंह की मृत्यु के बाद उसे Gurd Of Honour नहीं दिया जाना इस समय काफी विवादों में है. लेकिन अब सच्चाई सबके सामने आ गई है कि आखिर अग्निवीर अमृतपाल सिंह को मृत्यु के बाद गॉड ऑफ ऑनर क्यों नहीं दिया गया.

गॉड ऑफ़ ऑनर दिए जाने का विवाद जब बढ़ता गया तो सेना ने कहा कि इस संबंध में जो बातें मीडिया में फैलाई जा रही हैं वह सही नहीं है. अग्निवीर अमृतपाल सिंह के पार्थिव शरीर के साथ उनके अंतिम संस्कार में सेना के अधिकारी उपस्थित थे लेकिन मृतक अग्निवीर को ग़ॉड ऑफ ऑनर नहीं दिया गया इसके पीछे की दूसरी वजह है.

सेना(Army) ने अपने बयान में कहा है कि अमृतपाल सिंह ने खुद को गोली मारी थी जिस कारण उनकी तत्काल मौत हुई थी.उनकी मौत खुद को गोली मार लेने के कारण हुई थी इसलिए वह गॉड ऑफ ऑनर के हकदार नहीं थे और इस कारण ही नहीं दिया गया. लेकिन उनकी अंत्येष्टि में सेना के जवान शामिल हुए थे.

सेना ने अपने बयान में यह भी कहा कि अग्निवीर अमृतपाल सिंह ने राजौरी सेक्टर में ऑन ड्यूटी होते हुए अपने आप को गोली मारी थी. जिससे उनकी मृत्यु हुई थी लेकिन अभी इस पर कोर्ट ऑफ़ इंक्वारी बरकरार है. इस संबंध में पूरी जानकारी कोर्ट आफ इंक्वारी के बाद ही सामने आ सकेगी.

बताते चलें कि अग्निवीर अमृतपाल सिंह के पार्थिव शरीर को पंजाब उनके पैतृक गांव लाया गया था. उनको जिस एंबुलेंस में लाया गया वह एक प्राइवेट एंबुलेंस थी.  जैसे ही यह खबर मीडिया में आई की अग्निवीर के पार्थिव शरीर को सेना की गाड़ी में नहीं लाया गया साथ ही उनकी अंत्येष्टि भी साधारण अंत्येष्टि के रूप में की गई. यानी उनकी अंत्येष्टि सैन्य अंत्येष्टि नहीं थी, लोग और विपक्षी नेताओं द्वारा सोशल मीडिया पर विरोध जताया जाने लगा.

इन सब बातों के बीच पंजाब सरकार ने यह साफ कर दिया है कि अग्निवीर अमृतपाल सिंह की मृत्यु चाहे जिस वजह से भी हुई हो हम उन्हें शहीद मानते हैं और जो सम्मान एक शहीद को दिया जाना चाहिए वह सम्मान हम उन्हें देंगे. जिसमें मृत्यु उपरांत दी जाने वाली धनराशि जो की एक करोड रुपए है वह दी जाएगी.

यहां यह भी बता दें कि मृतक अग्निवीर अमृतपाल सिंह की अंत्येष्टि पंजाब सरकार द्वारा पूरे सम्मान के साथ किया गया और उन्हें पंजाब पुलिस के द्वारा बंदूकों की सलामी भी दी गई. यहां इस बात पर भी ध्यान देना चाहिए कि यह सेना से जुड़ा हुआ मुद्दा है जो कि सीधे-सीधे देश की सुरक्षा से संबंधित है और ऐसे मुद्दों पर लोगों के बीच गलत जानकारी नहीं जानी चाहिए. भारतीय सेना हमेशा अपने नियमों का पालन करती है और अपने अनुशासन को लेकर वह कोई भी समझौता नहीं करती है.

लेकिन यहां एक मुद्दा और है कि आखिर मृतक अग्निवीर अमृतपाल सिंह ने अपने आप को गोली क्यों मारी. वह कौन सी स्थिति परीस्थिति रही होगी जिस कारण उन्होंने ऐसा आत्मघाती कदम उठाया. लेकिन अग्निवीर को लेकर सोशल मीडिया पर जो झूठ फैलाया जा रहा है की अग्निवीर को मृत्यु के बाद कोई भी सैन्य सम्मान नहीं दिया जाता है पूरी तरह से भी बेबुनियाद है. अगर अमृत पाल सिंह ने खुद को गोली नहीं मारी होती तो उन्हें भी सेना द्वारा गॉड ऑफ ऑनर दिया जाता जैसा कि अन्य सैनिकों को शहीद होने पर दिया जाता है.

कुछ बातें सुनने में अटपटी जरूर लगती हैं लेकिन सेना का अर्थ ही है अनुशासन और सेना अपने अनुशासन से कभी भी समझौता नहीं करती है. हां यह अलग बात है की अग्निवीर स्कीम को लेकर कुछ मांगे हैं जिन पर सरकार को ध्यान देना चाहिए और यह जरूरी भी है. अग्निवीर स्कीम के तहत युवाओं को 4 साल के लिए भर्ती किया जा रहा है. युवा चाहते हैं कि उनकी भर्ती जैसे पहले होती थी वैसे ही हो. साथ ही उन्हें सेवा काल(Job Period) के दौरान वही भत्ते और लाभ दिए जाएं जो की अन्य सैनिकों को दिए जाते हैं.

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