Marriage Certificate Issued By Arya Samaj is not Valid:आर्य समाज द्वारा जारी विवाह प्रमाण पत्र को लेकर सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी, कहा विवाह प्रमाण पत्र जारी करना आर्य समाज का काम नहीं, बलात्कार के आरोपी को किया था विवाह प्रमाणपत्र जारी सुप्रीम कोर्ट ने नहीं दी जमानत
आज आर्य समाज ( Marriage Certificate Issued By Arya Samaj is not Valid) को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है और यह खबर आर्य समाज द्वारा जारी विवाह प्रमाण पत्र को लेकर है. आज सुप्रीम कोर्ट में एक बलात्कार के आरोपी का मामला चल रहा था. इस दौरान ही सुप्रीम कोर्ट ने कुछ ऐसी टिप्पणी की जिसके बाद यह मामला सुर्खियों में आ गया.
बलात्कार के आरोपी ने एक मैरिज सर्टिफिकेट(Marriage Certificate) सुप्रीम कोर्ट के सामने पेश किया और वह इस मैरिज सर्टिफिकेट के आधार पर जमानत चाह रहा था. वह कह रहा था कि जिस लड़की ने उस पर बलात्कार के आरोप लगाए हैं वह बालिग है और उन दोनों ने आर्य समाज(Arya Samaj) में शादी कर लिया है, आर्य समाज ने इसके लिए उन्हें प्रमाण पत्र भी दिया है.
सुप्रीम कोर्ट ने जैसे ही आर्य समाज द्वारा जारी विवाह प्रमाण पत्र को देखा तो सुप्रीम कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा कि आर्य समाज को विवाह प्रमाण पत्र जारी करने का कोई अधिकार नहीं है. विवाह प्रमाण पत्र जारी करने का अधिकार सक्षम अधिकारियों को है ना कि आर्य समाज को और हम इस विवाह प्रमाण पत्र को गैरकानूनी मानते हैं, इसे हम कानूनी मान्यता नहीं दे सकते.
सुप्रीम कोर्ट ने आर्य समाज द्वारा जारी विवाह प्रमाण पत्र को खारिज कर दिया और इसके साथ ही बलात्कार के आरोपी की जमानत याचिका भी खारिज हो गई. बलात्कार के आरोपी पर यह आरोप है कि उसने लड़की का जो की नाबालिक है उसका अपहरण किया और फिर उसका बलात्कार किया. आरोपी पर पोस्को एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया.
बताते चलें कि आर्य समाज की स्थापना सन 18 75 में दयानंद सरस्वती ने समाज सुधार के दृष्टिकोण से किया था, लेकिन कुछ ऐसे मामले सामने आए हैं जहां पर आर्य समाज द्वारा वैवाहिक प्रमाण पत्रों को जारी किया गया है जिसमें अनियमितताएं पाई गई हैं.
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद अब यह चर्चा जोरों पर है कि आर्य समाज द्वारा पहले भी वैवाहिक प्रमाण पत्र जारी किए जाते रहे हैं तो आखिर उन वैवाहिक प्रमाण पत्रों का क्या होगा जो कि पहले ही जारी किए जा चुके हैं. लेकिन सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए इस निर्णय से यह तो साफ हो गया है कि आर्य समाज द्वारा जारी प्रमाण पत्र की कोई भी कानूनी मान्यता नहीं होगी.